Monday, June 30, 2008

अपने धोनी भइया थक गए हैं

अपने धोनी भइया थक गए हैं। कह रहे हैं की अब उनसे इतना ज्यादा क्रिकेट नहीं खेला जाता। यही नहीं अपनी बात को सही साबित करने के लिए ये साथी खिलाड़ियों का हवाला देना भी नहीं भूलते हैं। अरे भाई ये तो कोई बात नहीं हुई। आई पी एल खेलते वक्त तो आपने एक बार भी नहीं कहा की हम थक गए।क्या मजाल की थकन कभी आसपास भी फटके। पर जब बारी देश के लिए खेलने की आई तो पाँव थक कर चूर हो गए। ये तो अच्छी बात नहीं हैं न धोनी भइया। आख़िर जब इतनी ही थकान हो रही थी तो क्या ज़रूरत थी दनादन क्रिकेट की मदमस्त कर देने वाले माहौल में इतने लंबे काश लगाने की। आराम से घर पर बैठे होते, और अगर आपका स्वीमिंग पूल तैयार हो गया हो तो उसमे नहा लिए होते। लेकिन नहीं भाई , ये सम्भव भी तो नहीं था आख़िर छे करोड़ रुपये कहाँ कम होते हैं। एक तो आपने सबसे ज्यादा रुपये भी जुटाए अब थकन का रोना भी रो रहे हैं। आख़िर आपने एक सीधा सादा मुहावरा तो सुना ही होगा..'कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है'..और आपने कुछ कहाँ बहुत पाया, सबसे अधिक। फ़िर भी ऐसी बातें..छी.,छी आपको ये बिल्कुल शोभा नहीं देतीं। और हाँ एक बात और आप तो शुरुआत में रोज ३ लीटर दूध पी जाया करते थे। क्यूँ अब नहीं PEETAAAअब तो आपके पास इतना अकूत है की आप दुनिया के किसी भी भैंस का दूध पी सकते हैं। जो मन वो कर सकते हैं, अगर थोड़ी बहुत थकन होती ही है तो भी आप जैसे बहादुर पुरूष को ये बात शोभा नहीं देती। आप ही ऐसे हिम्मत हार जायेंगे तो बाकियों का क्या होगा!! तनिक उनका भी तो ख्याल करिए , आख़िर आप सेनापति जो ठहरे। और ऐसा भी नहीं है की आप हार का ठीकरा ज्यादा क्रिकेट पर फोड़ रहे हों, आप तो लगातार जीत रहे हैं। फिर भी ऐसी बातें!!
इससे तो यही लगेगा न आपको अभी मजा नहीं आ रहा है, ज़ाहिर सी बात है सिर्फ़ देश के लिए खेलकर ४४ दिन में ६ करोड़ रूपए तो मिलेंगे नहीं, न ही उतना मजा मिलेगा , थोड़ी बोरियत तो होगी ही।

1 comment:

Amit K Sagar said...

अच्छा मित्र. लिखते रहिये. शुभकामनायें व् स्वागतम.
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उल्टा तीर