Thursday, February 14, 2008

यार! इशांत ने तुम्हारी बात दिल पे ले लिया....

ज़िंदगी की दौड़ बहुत ही अजीब होती है... स्पीड की गारंटी कोई नही दे सकता है॥ रफ़्तार कब तेज और कब मद्धम हो जाय कोई नही बता सकता है... दो तीन महीने पहले मैं जामिया यूनिवर्सिटी गया हुआ था...एक बहुत ही खास मित्र रहता है.. कैम्पस में तफरीह कर रहे थे... भूख लगी फ़िर हम लोग कैंटीन की तरह मुड गए....कैंटीन से जामिया का ग्राउंड बिल्कुल सटा हुआ है...हमने देखा की ग्राउंड में कोई क्रिकेट मैच चल रहा था... बाउंड्री लाइन के नजदीक कुछ लोग बैठकर मैच का आनंद ले रहे थे... दूर से जो कुछ दिख पा रहा था उससे यही लगा की मैच क्लब लेवल का है । पविलियन की तरफ़ भीड़ कुछ ज़्यादा ही थी. और स्कोर बोर्ड पर भी एक आदमी तैनात था.... हम लोग भी अपनी क्रिकेट के लिए दीवानगी को दबा नही सके और चल पड़े क्रिकेट ग्राउंड के पास.. कुछ देर तक हम घेरे के पास खड़े होकर ही मैच देखते रहे... लेकिन दिल नही माना और हम लोग रेलिंग के भीतर बाउंड्रीलाइन के पास जाका बैठ गए... रेलिंग के बाहर ड़ी ड़ी न्यूज़ की गाडी देखर इतना समझ में आ गया की मैच है तो क्लब लेवल का ही लेकिन इसमे ज़रूर ही कुछेक नामचीन खिलाड़ी शिरकत कर रहे हैं . हम लोग भी जाकर बाउंड्री लाइन के पास बैठ गए. वहाँ से कुछ ही दूरी पर एक लंबा सा खिलाडी फील्डिंग कर रहा था. शक हुआ की कहीं ये इशांत शर्मा तो नही. कुछ देर तक मैंने रवि से भी इस बारे में नही पूछा लेकिन जब मेरा शक यकीं में बदल गया मैंने रवि से पूछ और रवि ने भी कहाँ अरे हाँ ये तो वही है. हमारी उत्कंठा और बढ़ गयी. मैंने रवि से चुटकी ली "यार बढ़िया मौका है ले लो ऑटोग्राफ". रवि ने भी तुरंत पूछा फ़िर से टीम में आयेगा क्या?? मैं चुप रहा क्योंकि पिछले मौके को भुनाने में दिल्ली का ये छोरा पूरी तरह नाकाम रहा था...उस वक्त न तो गेंदों में वो रफ़्तार ही थी न ही खतरनाक स्विंग. फ़िर कुछ देर तक हम इस बात का इंतज़ार करते रहे की अब इशांत बोलिंग करने आएगा. लेकिन ऐसा नही हुआ. इशांत को बोलिंग करते हुए देखने की तमन्ना थी इसलिए हम डटे रहे लेकिन जब सब्र का बाढ़ टूट गया तो हम सरकते हुए स्कोरर के पास पहुँच गए....ये जानकर बहुत ही सुकून हुआ की उसके दो ओवर अभी बाकी थे... मैच ४०-४० ओवरों का था और तब तक इशांत ने ६ ओवरों में कुल १८ रन दिए थे. कुछ देर में ही इशानत को बाल पकडा दी गयी. इशांत की गेंदों की रफ्तार देखकर हम दंग रह गए.. वाकई कुछ ख़ास था उसमें... देखकर लग गया.. बन्दे में दम तो है भाई.. इशांत की टीम वो मुकाबला जीत गयी. अब जब भी इशांत को बोलिंग करते हुए देखता हूँ तो लम्हा ज़रूर याद आता है. रवि मिलता है तो उससे चुटकी लेना नहीं भूलता हूँ.." यार रवि! लगता है इशांत ने तुम्हारी बात सुन ली और दिल पे ले लिया" इशांत की गेंदों की रफ़्तार में भी गज़ब इजाफा हुआ है और उसकी ज़िंदगी में भी..... इससे खास क्या होगा की ख़ुद श्रीनाथ ने उसे दुनिया का सबसे खतरनाक गेंदबाज करार दे दिया.

2 comments:

सतत विकास said...

aree bhai pahla kaam to ye karo apne blog ka colour change karo thodi der mein ankhen dard hone lagti hai. and your this one is nice.

मिथिलेश श्रीवास्तव said...

I M agree with vikas....and it's really surprise that u r also on BLOG since SEP 2007....OH, can't imagine yaar!